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Radha Shrotriya

Romance

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Radha Shrotriya

Romance

किताबें

किताबें

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सोचती हूं,अगर किताबें नहीं होतीं तो क्या होता ?

जीवन जैसे कि सजा होता !

घर का वो कोना जिसके नज़दीक मेरे एहसास सुकून पाते हैं ख़्याल मुस्कुराते हैं 

बेचैन रूह को चैन आता है।

तब मैं सोचती हूं

किताबों से सच्चा और अच्छा कोई दोस्त नहीं होता!

इनकी खुशबू मुझे पागल बनाती हैं

पहली मोहब्ब्त की याद दिलाती है!

स्कूल की छुट्टी के वक्त किताब में रख कर दिया हुआ तुम्हारा वो ख़त

आज भी संभाल कर रखा है अपनी किताब में मैंने !

जब भी मेरा मन उदास होता है मैं किताबों के पास चली आती हूं !

तुम्हारे ख़त को किताब से निकालकर पढ़ती हूं चूम कर फिर उसे किताब में वापस रख देती हूं !

इतने बरस बाद भी तुम्हारी खुशबू से लबरेज है किताब का वो पन्ना !

सोचती हूं,अगर किताबें नहीं होतीं तो क्या होता ?


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