वो बारिश की बूँदें
वो बारिश की बूँदें
अजीब सी रात थी गहरी ख़ामोशी को चीरती बारिश की बूँदें …
छाता मेरे हाथ में होने के बावजूद भी पानी में तर बतर हो चुकी थी मैं
आकाश में छायी गहरी स्याह काली बदरी का रंग
ना मालूम कैसे मेरी आँखों से बहकर मेरे चेहरे पे बिखर गया था !
