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संजय असवाल "नूतन"

Fantasy

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संजय असवाल "नूतन"

Fantasy

तेरी याद में...!!

तेरी याद में...!!

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तन्हा होता हूं तो याद आते हो

सांस लेता हूं तो दिल पे छा जाते हो,

ना खबर है मुझे तेरे इश्क में इस जमाने की 

ओ संगदिल.! तुम इतना क्यों तड़पाते हो।


रहम कर मुझ पर अब यूं न तड़पा

कभी ख्वाबों में ही सही मेरे करीब तो आ,

संवारू तेरी इन बलखाती हसीं जुल्फों को

है इश्क तो होंटो पे तू मुझे अपने सजा।


रुख हवाओं का भी मोड़ दूंगा

इन फिज़ाओं में इश्क शरबती घोल दूंगा,

तू मेरे इश्क की यूं सरेआम बेकद्री न कर

तेरे इश्क में ये दुनियां ही छोड़ दूंगा।


उसकी गली में मेरा यूं आना जाना था

सितमगर से दिल का अजीब फसाना था,

मोहब्बत में दीदार को उनके तड़पते थे हम

सच..! वो क्या हसीं क्या गुजरा ज़माना था।


इन आंखों में अब भी तुम्हारा इंतजार है

तुम्हें देखने को ये दिल वर्षों से बेकरार है,

आ जाओ तुम मेरे आगोश में ओ मेरे सनम

मोहब्बत में तेरे अब मेरा बुरा हाल है।


उनकी यादों में ये दिल डूबने लगा है

दिल ए बेचैन अजीब हरकत करने लगा है,

मुस्कराता है ये बेवजह अब यूं रात दिन

तेरी तस्वीर से तेरी ही शिकायत करने लगा है।


जब भी लिखता हूं तेरी मोहब्बत में दर्द ए हाल

दिल बेचैन हो उठता है,

फिरता है ये यूं मारा मारा गमगीन रातों में

मुस्कराने की अब वजह ढूंढता है।


तेरी यादों में अब वक्त यूं गुजर रहा है

जैसे जर्रा जर्रा कायनात में सिमट रहा है,

तू गई तो रह गए प्यार के वादे सारे अधूरे

तुझसे मिलने को दिल अब बहाने ढूंढ रहा है।



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