तू एक छेड़ी हुई सी नज्म मेरी
तू एक छेड़ी हुई सी नज्म मेरी


तू एक छेड़ी हुई सी नज्म मेरी ,
मैं तुझको बांधता एक साज़ हूँ ,
तू धुन है मेरे धड़कनों की,
और मैं तेरी आवाज़ हूँ,
तू है खिलता कमल मैं पंक तेरा ,
तू मेरी रोशनी ,
मैं रंग तेरा ,
तू मेरा साथ हो ,
मैं संग तेरा ,
तू मेरी रूह हो ,
मैं अंग तेरा ,
तू एक बहती हुई सी पंक्ति मेरी ,
मैं तुझमे डूबता एक चाँद हूँ,
अब तू भी मेरे साथ है और मै भी तेरे साथ हूँ,
तू भी मेरी आवाज़ है मैं भी तेरी आवाज़ हूँ ,
तू एक छेड़ी हुई सी नज्म मेरी ||----------