गँवारा न होता
गँवारा न होता
अग़र चाहतों का सहारा न होता।
तुम्हारे बिना कुछ गॅंवारा न होता।
मिरी जिंदगी ग़मज़दा हो रही थी,
समां ख़ुशनुमा ये नज़ारा न होता।
कि मालूम होने लगा है मुझे भी,
सनम से हि मैं ज़ान हारा न होता।
तुझे देखते ही पसीना बहा है,
कहीं आज मुझको हरारा न होता।
ज़माना हमें इस क़दर ग़म दिया है,
बिना जख्म़ के अब गुज़ारा न होता।
सनम नाज़नीना हसीना तुम्हीं हो ,
दिले-जान का क्यों इशारा न होता।
ग़मों को हि कैसे गले से लगा लूॅं,
तुम्हारे बिना अब गरारा न होता।
मिरी आरज़ू पालकी को उठा लूॅं,
तुम्हारे लिए मैं कहारा न होता।
कि 'गुलशन' तुम्हीं से महकने लगा है,
फिज़ा ये ख़ुशी का बहारा न होता।
ग़रारा-नमकीन पानी से कुल्ला करना
कहारा-कहार जाति जो पालकी ढ़ोती है।