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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

देश की लेखनी....

देश की लेखनी....

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दवात तीक्त आग को उड़ेल दो उड़ेल दो ।

कि स्याह देशद्रोह को नकेल दो नकेल दो ।।

कि एक साध्य लक्ष्य को गुलेल दो गुलेल दो ।

हॅं जंबुद्वीप भारती पटेल दो पटेल दो ।।


सदा बहाव रक्त में जमाव हो असत्य का ।

घिराव घेर व्यूह में घुमाव हो असत्य का ।।

प्रवाह सत्य तीव्र हो रुकाव है असत्य का ।

अमित्र यत्र तत्र में झुकाव है असत्य का ।।


लिखूॅं सदैव सत्य को सुकंठ औ कुठार दो ।

कुपाप ग्रीव काट देत खड्ग को उधार दो ।।

रहे न मौन जो सुसुप्त पौन को पुकार दो । 

समेट लेख सत्य का कि लेखनी सुधार दो ।।


शब्द वो कुभाव युक्त पेज को ही फाड़ दो ।

भरे घड़ा कुपाप जो वही घड़ा लताड़ दो ।।

सतर्क हो जरासुतों, भुजा-भुजा उखाड़ दो।

मरे नहीं डरे नहीं चलो जमीन गाड़ दो ।।


बहे लिखे हरेक बूॅंद स्याहियों सुनो -सुनो ।

हिरण्य के सभी हिरण्यवाहियों सुनो-सुनो ।।

कि कुष्ठ ग्रस्त अस्त पस्त व्याधियों सुनो-सुनो ।

प्रभंजनी प्रवेगपात ऑंधियों सुनो-सुनो ।।


कि छद्म भाव से भिड़ंत युद्ध युद्ध ना रहे ।

पढ़ो-पढ़ो यथार्थ को अतीत शुद्ध ना रहे ।।

सुधर्म न्याय में अभी प्रबुद्ध बुद्ध ना रहे ।

मिलावटें सर्वत्र रक्त रक्त शुद्ध ना रहे ।।



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