देश की लेखनी....
देश की लेखनी....
दवात तीक्त आग को उड़ेल दो उड़ेल दो ।
कि स्याह देशद्रोह को नकेल दो नकेल दो ।।
कि एक साध्य लक्ष्य को गुलेल दो गुलेल दो ।
हॅं जंबुद्वीप भारती पटेल दो पटेल दो ।।
सदा बहाव रक्त में जमाव हो असत्य का ।
घिराव घेर व्यूह में घुमाव हो असत्य का ।।
प्रवाह सत्य तीव्र हो रुकाव है असत्य का ।
अमित्र यत्र तत्र में झुकाव है असत्य का ।।
लिखूॅं सदैव सत्य को सुकंठ औ कुठार दो ।
कुपाप ग्रीव काट देत खड्ग को उधार दो ।।
रहे न मौन जो सुसुप्त पौन को पुकार दो ।
समेट लेख सत्य का कि लेखनी सुधार दो ।।
अशब्द वो कुभाव युक्त पेज को ही फाड़ दो ।
भरे घड़ा कुपाप जो वही घड़ा लताड़ दो ।।
सतर्क हो जरासुतों, भुजा-भुजा उखाड़ दो।
मरे नहीं डरे नहीं चलो जमीन गाड़ दो ।।
बहे लिखे हरेक बूॅंद स्याहियों सुनो -सुनो ।
हिरण्य के सभी हिरण्यवाहियों सुनो-सुनो ।।
कि कुष्ठ ग्रस्त अस्त पस्त व्याधियों सुनो-सुनो ।
प्रभंजनी प्रवेगपात ऑंधियों सुनो-सुनो ।।
कि छद्म भाव से भिड़ंत युद्ध युद्ध ना रहे ।
पढ़ो-पढ़ो यथार्थ को अतीत शुद्ध ना रहे ।।
सुधर्म न्याय में अभी प्रबुद्ध बुद्ध ना रहे ।
मिलावटें सर्वत्र रक्त रक्त शुद्ध ना रहे ।।