सपनों के शहर में
सपनों के शहर में
हम आए है सपनों के शहर में
मां की ममता, पिता का प्यार
भैया की डांट, बहन का दुलार
और जिगरी यार सब कुछ छोड़कर
हम आए है सपनों के शहर में।
मां की ख्वाहिशें, पिता का सम्मान
भैया का विश्वास, बहन की रक्षा का भार
गांव के सभी सदस्यों व्यंग बाण
और अपने बचपन का प्यार भरा याद
सब कुछ लेकर आए है सपनों के शहर में।
कभी यहां के विद्यार्थी बने है मंत्री
कभी बने है जिला अधिकारी
कोई बना है सर्वोच्च न्यायालय का न्यायमूर्ति
कोई बना है प्राथमिक विद्यालय का चपरासी।
यहां के छोटे छोटे कमरों में
बड़े बड़े सपने सजोए हुए है।
यह शहर प्रयागराज है भैया
कभी इसी छोटे कमरे में जी भर के रोए हुए हैं।
फिर भी मां के ख्वाहिशें, पिता के सम्मान के
के लिए,
हम सपनों के शहर में आए हुए हैं।