पतंग नहीं तुम पंछी हो
पतंग नहीं तुम पंछी हो
तुम जी भर उड़ो आसमान में,
पतंग नहीं तुम पंछी हो।
कर लो अपना शौक पूरा,
क्योंकि तुम भी एक मानुष हो...।
तुम जमाने से क्यों डर रही हो,
जमाने का काम हैं कहना।
तुम उड़ो अपने ख्वाबों में,
ख्याल रखने के लिए हम है न...।
बुरे लम्हों को भूलकर,
अच्छे लम्हे ही याद करना।
उड़ चल पंछी तुम,
तुम्हारा काम है सिर्फ उड़ना....।
बस एक गुजारिश है तुमसे उड़ने के
चक्कर में,
अपनों को न जाना भूल।
क्योंकि पतंग नहीं तुम पंछी हो
तुम्हारे डोर गए है खुल....।।
आप लोगों की महानता,
किन्ही शब्दों से होगा नहीं बयां।
फिर भी मैंने गुस्ताखी की है,
आप लोग कर देना मुझे क्षमा...।
(समस्त औरतों व लड़कियों के लिए)