STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

3  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

देश की माटी

देश की माटी

1 min
325

मेरे देश की माटी मुझे बड़ी कीमती लगती है

मेरे लिये तो जन्नत से ज़्यादा तेरी गिनती है

लाखों करोड़ों शहीद हुए है, इसके लिये

तू त्याग और बलिदान की एक धरती है

मेरे देश की माटी मुझे बड़ी कीमती लगती है

कहीं हमें तेरी सफ़ेद चादर अच्छी लगती है

कहीं रेत के धोरों से तू सुनहरी लगती है


तेरा रूप रंग के आगे हमें तो,

सूरज की रोशनी भी फ़ीकी लगती है

तेरे कण कण में मेरी आत्मा बसती है

तुझसे एक क्षण की भी दूरी से 

मेरी तो जान ही निकलती है

बहुत से फूल देखे है हमने दुनिया में,

तेरी माटी सा कोई खूबसूरत नहीं देखा है


तेरे सौंदर्य से हर चीज़ फ़ीकी लगती है

तेरी माटी में वीर शिवाजी,

राणा प्रताप आदि ने जन्म लिया है

इसी धरा पर लक्ष्मीबाई,

सावित्रि आदि का जन्म हुआ है

तुझसे शेर व शेरनियों की खुश्बू निकलती है


मुझे गर्व है, मैंने भारत में जन्म लिया है

मेरे देश की माटी से शोलों सी आग निकलती है

रब ने भी हजारों बार यहां अवतार लिया है

ख़ुदा को भी तेरी महक बड़ी प्यारी लगती है

मेरे देश की माटी मुझे बड़ी अच्छी लगती है

मेरे लिये तो जन्नत से ज़्यादा तेरी गिनती है



विषय का मूल्यांकन करें
लॉग इन

Similar hindi poem from Inspirational