फल
फल
संतों का कहा बुजुर्गों से सुना है
पत्ता भी हिलता यहां उसकी मर्जी से
खेल उसका हर खिलौना उसका है
सुख दुख से लिखी है जिन्दगी की कहानी
सबको हंसना रोना है
ना आगाज है उसका ना अंजाम कोई
खाली हाथ आए खाली हाथ जाओगे
पाया है यहीं पर सब खोना यही है
ये रिश्ते नाते घर परिवार दुश्मन यार
रात नींद ने जैसे कोई ख़्वाब बुना है
वक्त से है कीमत सभी की
कभी सोना मिट्टी तो कभी मिट्टी सोना
सुख दिए सुख मिले दुख दिए दुख
फल जैसा चहिए वैसा बोना होगा बीज।
