झूठ की चाहना
झूठ की चाहना
अस्तित्व खुद का रह ना पाया
कौन चाहेगा इसे
पर एक ऐसी चीज है
ना चाहना इसकी जैसे
है अनोखी बात यह
पर सत्य है निर्वाद है
वह जो है वही ही रहे
तो मरण ही बर्बाद है
झूठ ऐसी चीज है
जो झूठ रहना चाहती नहीं
सत्य वह है जो जब तक ना हो
चैन वह पाती नहीं
झूठ अगर रह गई झूठ
तो बोलना बेकार है
सत्य हो जाए अगर वह
यत्न तब साकार है
झूठ भी क्या चीज है
कौन सा अनोखा धंधा है
जो सत्य कि वे वैशाखियों के
सहारे जिंदा है
कौन जाने झूठ क्या
झूठ कोई बोलता है क्या।