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SHIVAM CHANDER

Inspirational

4.0  

SHIVAM CHANDER

Inspirational

मैं क्या दे सकता हूँ

मैं क्या दे सकता हूँ

2 mins
383


   

         

        मैं क्या दे सकता हूँ आज मुझे 

        समझ नहीं आ रहा तुम्हारा दिन 

        देन किस तरह मोड़ सकता हूँ 

        इतना तो काबिल में भी नहीं पर 

        मैं आपसे वादा करता हूँ जो 

        पाठ आपने पढ़ाया है मुझे

       वह पाठ कभी ना भुलाऊँगा मैं 

       जो रास्ता तुमने मुझे दिखाया है 

       उससे कभी ना भटक जाऊंगा मैं


       मैं नहीं जानता समाज में क्या हो

       रहा है जमाना चाहे कलयुगी कयो

       ना हो गया हो मैं तो वही करूंगा 

       जो आप ने सिखाया है मुझे


       आज अध्यापक दिवस है सभी 

       विद्यार्थी कुछ ना कुछ उपहार 

       लाए होंगे कहीं कई बेशकीमती 

       उपहार मिलेंगे आपको आज

       मैं गरीब हूं इसलिए कुछ भेट 

       ना ला पाया अध्यापक जी 

       बस वादा करता हूँ जो पाठ तुमने

       जिंदगी में पढ़ाया है उस पर सदा 

       चलता रहूँगा मैं


      कि जो कदर करनी आप ने सिखाई है 

      वो बढो और माँ-बाप की सदा करता

      रहूँगा मैं कि करना चाहा दूर मुझे मेरे 

      माँ बाप से किसी ने तो उसका साथ

      मैं छोड़ दूंगा है हे अध्यापक जी 

     आपको मेरे माँ बाप कभी ना बेघर मिलेंगे


     कि मेरी वजह से किसी लड़की को 

     अपना रास्ता ना बदलना पड़ेगा 

     कभी कि मेरी वजह से किसी 

     लड़की की जिंदगी ना खराब होगी 

     कभी हे अध्यापक जी मेरी वजह से

     किसी बाप को करजाई ना होना पड़ेगा 

     अपनी बेटी की के विवाह के लिए कभी 

     घर बार बेचना पड़ेगा कभी औरत 

     का अपमान न मेरे घर में होगा


      कभी न जमीन घर बार के लिए 

      अपने भाई से लडूगा में परिवार 

      चलाना क्या होता है यह समाज 

      को बता दूंगा मे हे अध्यापक जी 

     सब पढ़ते होंगे नौकरी के लिए 

     लेकिन मै पढ़ता आया हूँ एक 

     अच्छा इंसान बनने के लिए

     क्योंकि आज मैंने अनपढ़ भी 

     कभी भूखा नहीं देखा वह भी 

     अपना घर बार चलाता है और

     पढ़े लिखो इंसानों में मैंने अक्सर 

     इंसानियत की कमी देखिए अगर

     कभी मुलाकात हुई आपसे जिंदगी

     में बेशक अमीर हम ना पाओ मुझे 

     मगर एक अच्छे इंसान के रुप में

      जरूर मिलूंगा मैं


      कि अमीर ना हुआ तो ना सही मैं 

      गरीबी में खूश रह लूंगा रोटी ही 

      खानी है ना सबको ना मिली 

      सब्जी से तो नमक से कहा लूंगा 

      पर कभी भी किसी का हक नहीं 

      मारूंगा कभी भी धोखेबाज या 

      किसी की चोरी नहीं करूंगा मैं 

      कभी भी अपने घर का धन जुए 

      और नशे मै कभी ना बरबाद करूंगा मै


      बहुत ज्यादा ना हो सका मगर 

      जितना भी हो सकेगा अपने घर 

      वालों को खुश रखूगा सदा मैं 

      हे अध्यापक जी हमेशा कोशिश 

      करता रहूंगा कि मेरी वजह से 

      किसी का दिल न दुखे कि मेरी 

      वजह से कोई ना रुठे 

   

      इससे बढ़कर कोई ना उपहार दे 

     सकता हूं बस आपसे जो सिखा 

     उसे जीवन भर निभाता रहूंगा मैं 

     बस मेरा छोटा सा तोहफा को 

     स्वीकार करो हे अध्यापक जी

     और मै दे भी क्या सकता हूँ।




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