औरत का बदलता रुप
औरत का बदलता रुप
जिस माँ बाप ने तुम्हे जन्म दिया
उनका सौभाग्य कहलाई गई तुम
जिस घर मे जन्म लिया
उस घर की लक्ष्मी कहलाई तुम
जिस बाप ने समाज के डर से सारे
हक दिये तुम्हे कभी ना रोक टोक की
ना इलजाम लगा ऐ समाज की लडका
लड़की मे भेदभाव करते हो तुम
इस लिए लड़को जैसी तुमको भी आज़ादी दी
आज तुम कहती हो
अपने पसंद के लडके
से शादी करना चाहती हूँ
ना माने तुम अगर मै
घर से भाग जाउगी
या आत्महत्या कर लूंगी
जिन दोस्तों मे कभी ना
लडा़ई झगडा हुआ
वो तो तुम्हे वक्त दे ही
रहा था तुम्हे क्यो गवारा ना था
वह कह दिया बिना सोचे समझे या
मुझे चुन लो या आपनी दोस्ती को
जिन भाईयो का प्यार बेमिसाल था
राम लक्षमण जोडी लगती थी सबको
तुमने आते बड़ा छोटा करना शुरू कर दिया
प्यार का रिश्ता होली होली नफरत तक ले
आई तुम अगर तुम चुप रहती घर कभी दो
भागो मे बँट जाता
नही यकीन तो तुम्हारे से पहले भी
प्यार से रहते थे ये तो तुम थी जिसके
कारन हर इंसान को लगता है
शादी के बाद इंसान बदल जाता है
और उस माँ का क्या जिसने जन्म दिया
उस बेटे को तुमने तो उससे भी दूर कर
दिया एक माँ के लाल को
मै मानता हूँ औरत प्यार, ममता और
शक्ति का रुप है मगर औरत का
एक स्वरुप और भी है
क्यो जो आज़ादी तुम्हे दी
उसका गलत फाईदा उठाया तुमने
क्यो बाप की आशाओं को यूँ
पैरो तले रोदा तुमने
क्या हो जाता अगर बाप की
मरजी से शादी कर लेती तुम
क्या भरोसा रहा ना तुम्हे अपने बाप पर
जिस दोस्त को आज तक कोई
जुदा ना कर पाया जिसका
रिश्ता धन दौलत से कहीं परे था
एक तुम्हारे कारण दूर हो गया
क्या हो गया अगर थोड़ा वक्त
अपने दोस्त के साथ गुजार लिया
वो उसे भी तो प्यार करता है
तो क्या होगा गया जो शादी के बाद
थोड़ा वक्त आपने परिवार के लिए
निकाल लिया
क्या तुम्हे भरोसा नही उस पर
फिर क्यो दूरियाँ बढ़ा दी तुमने
भाई भाई के बीच मे
क्यो हर माँ को शादी के बाद
आपना बेटा बदला बदला प्रतीत
होता है
इन सब की कसूरवार तुम ही हो
तुम क्यो सब होते होते देखती रही
क्यो मौन रही तुम क्यो नही कहा
अगर दोस्त को छोडा तुमने
तो मै भी तुम्हे छोड़ दूँगी
क्यो नही कहा कि अगर
बँटवारा हुआ इस घर का
तो मै भी इस घर मे नही रह सकती हूँ
क्यो नही कहा जब एक बेटा
माँ को वरध आक्षम छोडने गया
कि अगर माँ इस घर मे रह सकती तो
तो मेरा भी इस घर मे कोई जगह नही है
तुम सब कर सकती थी
पर पता नही क्यो
तुम मौन खड़ी देखती रही तुम.