सत्य और झूठ
सत्य और झूठ
सत्य यानि सही
झूठ यानि गलत है
सही नहीं चलता
झूठ ही फलत है
सत्य का व्यवहार
अब हमसे दूर है
झूठ बिन चले न काम
आदमी मजबूर है
सत्य अब कहने को हैं
झूठ का बाजार है
छोड़ दो अब सत्य को
तो ही बेड़ा पार है
आज के इस युग में
सच बन गया इतिहास है
क्यों पड़े हो सच के गले
अब झूठ से ही आस
झूठ का ही राज है
झूठ के सर पर ताज हैं
जो कभी झूठ था
सच वो ही आज हैं।