मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
कौन हूँ और क्या हूँ मैं
यह तुम्हें बतला रहा हूँ
वास्तविकता क्या है मेरी
यह तुम्हें जलता रहा हूँ
यह मेरी देह
मेरा सब कुछ नहीं है
यह घर है मेरा
जहां में वास करता हूँ
देह मरती है
मैं नहीं मरता
मैं अजर हूँ अमर हूँ
अविनाशी हूँ
मैं स्वछन्द विचरण करता हूँ
देह में भी बाहर भी
ब्रहमाण्ड के
हर कण में भी
बंधन नहीं है
मोह मेरा
मैं स्वतंत्र हूँ
निर्मोही हूँ
मैं किसी का नहीं हूँ
कोई मेरा नहीं है
मैं सब का हूँ
सब मेरे हैं
मैं मन हूँ बुद्धी हूँ
वाद हूँ
मैं इच्छा हूँ
सत्य हूँ
नाद हूँ
इन सब से परे
मैं अध्यात्म हूँ
अविनाशी का
भाग हूँ।