STORYMIRROR

Sujata Khichi

Others

4  

Sujata Khichi

Others

क्यों सिमट कर रह गई मैं

क्यों सिमट कर रह गई मैं

1 min
264


क्यों सिमट कर रह गई मैं 

अपने ही मन के भाव में 

मन मारता था क्यों कुलाचें 

जीवन के भावी चाव में


है सभी कुछ पास मेरे 

फिर भी मन बेचैन है 

भावनाओं की कद्र है ना 

रहते सजल ही नयन है


अपने विचारों में पलूं 

पर हूँ नहीं आजाद में 

चख नहीं सकती कभी 

निज सोचना का स्वाद मैं


एक दरें में जीवन चल रहा 

पंख मेरे बंद है 

आकाश में मैं उड़ सकूँ 

मेरे लिए पाबंद है


मन की उमंगें, पींग भूलों की 

थम सी गई है अब सभी 

विचरण करूं आकाश में 

ना यह मुझे संभव कभी


कल्पनायें कष्ट में है 

जोश में जीवन नहीं 

इस अनोखी भीड़ में 

जाने गई मैं खो कहीं


Rate this content
Log in