Sujata Khichi

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हे प्रभु कैसे मिलोगे

हे प्रभु कैसे मिलोगे

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प्रभु मुझको बतादो

कैसे तुम मुझको मिलोगे कौन सी मैं राह जाऊँ

किस विनय से तुम रिझोगे 

हे दीन प्राणी जानले तूं गर ये मन में ठान ले तूं

दे, प्रगर इन बातों पे ध्यान 

फिर है तूं मेरे समान 

द्रव्य का अभिमान ना कर 

देह का गुमान ना कर 

लोभ पर अधिकार ना कर 

दीन को दुत्कार ना कर 

झूठ का व्यवहार ना कर 

कपट का व्यापार ना कर 

मोह से तू प्यार ना कर 

नैया डूबादे वो यार ना कर

बुजुर्ग का निरादर नहीं कर 

दुष्ट का आदर नहीं कर 

काम के प्राधीन ना हो 

बासना में लीन ना हो 

दान में यू दीन ना हो 

उदारता में हीन ना हो 

कष्ट दे वो काम ना कर 

दान में तूं नाम ना कर 

माया के अर्पण नहीं बन 

हरी नाम में कर्षण नहीं बन 

ये सब बातें कर तू लेगा 

साथ मैं तेरे रहूँगा जब जरूरत मेरी पड़ेगी

हर जगह तुम को मिलूंगा।


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