नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं। नासमझ झूठ परोस अलगाव लाते हैं और समझदार, झूठ बोल, खुशियाँ बाँटते हैं।
Noneजिंदगी में, अपनों के लिए अपने सपनों को देखा ही नहीं क्या इसकी कोई ख़ुशी नहीं होती और ... Noneजिंदगी में, अपनों के लिए अपने सपनों को देखा ही नहीं क्या इसकी कोई ख़ु...
मनोहर पर्रिकर जी को समर्पित। मनोहर पर्रिकर जी को समर्पित।
फर्क इस बात से नहीं पड़ता इतना कि कोई सो रहा है, कोई जाग रहा है, पर इस बात से पड़ता है कि, जब सो... फर्क इस बात से नहीं पड़ता इतना कि कोई सो रहा है, कोई जाग रहा है, पर इस बात से...
मैं भी कितनी पागल हूँ डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से। मैं भी कितनी पागल हूँ डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से।
सुन आँखें बंद कर अब आँखों में देख, क्या दिखा, बचपन, झूठ, खुद से ही घिरे होने का अकेलापन..... सुन आँखें बंद कर अब आँखों में देख, क्या दिखा, बचपन, झूठ, खुद से ही घिरे होने क...