डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से
डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से
कोई डरता है आँधी-तूफान से
कोई डरता है हैवान व शैतान से
मैं भी कितनी पागल हूँ
डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से।
भरोसा कैसे करूँ किसी पर
कोई तोड़ ना दे विश्वास मेरा
भरोसा करने से डरती हूँ
मैं भी कितनी पागल हूँ
डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से।
इश्क़ में मिलती है जो तन्हाई
उस तन्हाई से डरती हूँ
वफ़ा के बदले मिलती है जो बेवफाई
उस बेवफाई से डरती हूँ।
ना जाने कैसे झूठ को सच बना देते हैं लोग
मैं तो झूठ के नाम से ही डरती हूँ
मैं भी कितनी पागल हूँ
डरती हूँ तो मोहब्बत के नाम से।।
