क्या चलोगे साथ मेरे ?
क्या चलोगे साथ मेरे ?
सुनो !
क्या चलोगे साथ मेरे ?
कहीं दूर हसीं वादियों में
जहाँ चहूँ ओर हो हरियाली
दूर तलक फैला नील गगन हो
कल -कल बहता झरना हो
चिड़ियों का मीठा कलरव हो
ठंडी -ठंडी मस्त पवन हो
हाथों में हाथ तुम्हारा हो
पास एक नदी का किनारा हो
अनजान राहें हो और दूर हो मंजिल
चलें हम -तुम चहकते हुए
गूंजता मधुर स्वर हमारा हो
कट जायेगा सफर यूं ही
बस साथ तुम्हारा हो
सुनो !
चलोगे न..