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Pramila Singh

Tragedy

4.6  

Pramila Singh

Tragedy

तुमको नहीं जाना था

तुमको नहीं जाना था

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इस बनावटी तामझाम और कृत्रिम उजालों के बीच,

तुम ही तो एक ध्रुव तारे थे, तुमको नहीं जाना था।


सत्ता का लालच ओढ़े राष्ट्र भक्तों की इस भीड़ में,

तुम ही तो प्रह्लाद हमारे थे, तुमको नहीं जाना था।


आरोपों-प्रत्यारोपों और झूठ की इस राजनीति से परे,

तुम ही तो एक कर्मयोगी नजर आते थे, तुमको नहीं जाना था।


नियमों की अवहेलना करने वालों की इस भीड़ में,

तुम राह अनुशासन की दिखाते थे तुमको नहीं जाना था।


आडंबर और दिखावे की दौड़ में व्यस्त इस दुनिया में

तुम कितने सादे नजर आते थे, तुमको नहीं जाना था।


तन और मन से हार कर बैठ चुके कितने अशक्त लोगों को,

तुम जीवन से जूझना जीना सिखाते थे, तुमको नहीं जाना था।


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