चाँद पाने को मन मचल गया
चाँद पाने को मन मचल गया
वो जो तुम्हारा प्रेम छलकता था हृदय की प्याली में
आज आंखों से आँसू बनकर निकल गया
दर्द की एक चट्टान सी जमा कर रखी थी अपने अंदर
हमदर्दी की ज़रा सी आंच से पिघल गया
बहुत बहका और लड़खड़ाया इन इश्क की गलियों में
पर अच्छा हुआ वक्त रहते संभल गया
ताज्जुब यह नहीं कि समय के साथ दुनिया बदल गई
ताज्जुब तो यह है कि देखते देखते तू बदल गया
खता मेरी थी जो तुझे पाने की तमन्ना दिल में जगा ली
यह तो यूं हुआ कि चाँद पाने के लिए मन मचल गया