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ZAHIR ALI SIDDIQUI

Romance

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ZAHIR ALI SIDDIQUI

Romance

मेरी प्यार है तू....

मेरी प्यार है तू....

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आँखों से इश्क़ ए इज़हार कर लूं,

हिम्मत नही बोल कर प्यार कह दूं।

नज़रें मिली तो तू पलकें झुकायी,

पलकें झुका कर भी तू मुस्कराई।।


तेरी मुस्कराहट में खोना था अरमां,

अरमां मगर, तुझ से बातें था करना।

बातों ही बातों में तेरा मचलना,

खुशी के थे बादल ख़ुशियाँ बरसना।।


चाहत मेरा तुझको बाहों में भरना,

ऐसा नही बस दीदार करना।

मदहोश जैसे महज़ तू खड़ी थी,

मुखड़े को देखा परी सी लगी थी।।


सोचा नहीं था तू मुझसे मिलेगी,

मिलकर मेरे दिल की चाहत बनेगी।

दिल को तसल्ली महज़ तुमसे मिलकर,

ख़ुशी जैसे बागों में कलियों सा खिलकर।।


मल्लिका ए हुश्न सा जलवा ए रौनक,

दीदार करके आँखों को ठंडक।

गुलाबी होठों को छूने की चाहत,

जिस्मानी हरकत आने की आहट।।


लम्हा ठहरने की इच्छा जताई,

फ़रियाद ख़ुद की ख़ुदा से दुहाई।

डूबा मैं तुझमे निकलना है मुश्किल,

आंखों की मदहोशी बचना है मुश्किल।।


अदाकारा ऐसी अदा कैसे गाऊँ

हिम्मत नहीं प्यार तुमसे जताऊं।

आशा है तू मेरे दिल की सुनेगी,

मेरी प्यार है तू मुझको मिलेगी।।



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