जिक्र
जिक्र
ज़ब भी तेरा जिक्र होता है,
तेरे जिक्र से ज्यादा लोगो के सवाल हो जाते है।
जो तेरा जिक्र ना करूँ तो,
तेरे मन मे सवाल कई उठते होंगे, कि
ना जाने क्या खता हो गई, जो हमसे वो रूठ गई।
ज़ब भी तेरा जिक्र होता है,
तेरे जिक्र से ज्यादा लोगो के सवाल हो जाते है।
कहते तो हो, जिक्र नहीं फ़िक्र करो मेरी,
पर जब जिक्र ना होता, तो बेचैन तुम होते हो,
अब तुम ही बताओ?? मै जिक्र करूँ या ना।
ज़ब भी तेरा जिक्र होता है,
तेरे जिक्र से ज्यादा लोगो के सवाल हो जाते है।
फ़िक्र तो तेरी हर घड़ी हर पल होती है,
अब बस जिक्र नहीं होता, और तू
ना जाने क्या सोच बैठता है,
ज़ब भी तेरा जिक्र होता है,
तेरे जिक्र से ज्यादा लोगो के सवाल हो जाते है।

