इम्तिहान
इम्तिहान
ये ज़माना जो हैं
हमें नीचा भी दिखायेगा
हमे जुदा करने को
कई बहाने भी बनाएगा
हकीकत तो तुम्हारे सामने हैं
ये ख्वाबों में भी डरायेगा
कुछ झूठे ताने सुना कर
ये दूरी बनाना चाहेगा
पर इतना जो सहा
कुछ थोड़ा और सही
हमे देख-देखकर ये
खुद ही बदल जायेगा
देखो इश्क़ जो हैं
इम्तिहान तो माँगता हैं
पर हर इम्तिहान के साथ
ये निखर कर ही आयेगा।

