शोर और खामोशी
शोर और खामोशी
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कुछ इश्क़ ने समझाया
कुछ ज़माने ने सिखा दिया
तूफानों से यूँ ही टकराता आया था
प्यारी सी कुछ हवाओं ने झुका दिया
यूँ मुस्कुराकर जो चलता था
बात दुनिया को रास ना आई
इस ज़माने के शोर ने मुझे
खामोशी से मिला दिया