Akash Yadav
Tragedy
ये आज का समाज़ भी
कुछ समझ ही नहीं आता है
सुनाता है खुद ही किस्से इश्क़ के
पल भर में फिर क्यों बदल जाता है।
कभी दिखाता ये धूप सुनहरी
अभी कोहरा सा बन आता है
यहाँ इश्क़ है एक अधूरे ख्वाब सा
जो आँख खुले तो टूट जाता है।
मैं और मेरा म...
इम्तिहान
शरबत इश्क़ वाल...
अहमियत
आज का समाज
दुश्मन ज़माना
उसका साथ☺️
शोर और खामोशी
गुलाब इश्क़ का
ज़माना और इश्क़
लड़कों के टूटने पर भी रोने की इजाजत होनी चाहिए। लड़कों के टूटने पर भी रोने की इजाजत होनी चाहिए।
ये शहर है साथियों और शहर के लोग जहाँ हैं सब अजनबी एक दूसरे के लिए। ये शहर है साथियों और शहर के लोग जहाँ हैं सब अजनबी एक दूसरे के लिए।
होता जब अकेला हूँ तो लगता आधा हूँ हो चुटकी बात तुमसे होता मुकम्मल हूँ। ... होता जब अकेला हूँ तो लगता आधा हूँ हो चुटकी बात तुमसे होता मुकम्मल हूँ। ...
बस मुझे जल्दी से अपने पास बुला लो..! मेरा भी गृह प्रवेश करवा लो ना..? बस मुझे जल्दी से अपने पास बुला लो..! मेरा भी गृह प्रवेश करवा लो ना..?
हर जगह देखो दरिंदे फिर रहे लापरवाह, हर जगह देखो दरिंदे फिर रहे लापरवाह,
अलग-अलग किरदारों से सजा,यह दुनिया एक मेला है। अलग-अलग किरदारों से सजा,यह दुनिया एक मेला है।
मानवीय मूल्यों को भी समझें इंसानी संपत्ति। मानवीय मूल्यों को भी समझें इंसानी संपत्ति।
किरणें जब आई झूमके, बोली निखरना बाकी है ... किरणें जब आई झूमके, बोली निखरना बाकी है ...
शरीर भी टूट चुका था, आत्मा का अंतिम संस्कार होना बाकी था।। शरीर भी टूट चुका था, आत्मा का अंतिम संस्कार होना बाकी था।।
एक दौर था... जब लोगों का एक दूसरे पर था विश्वास... एक दौर था... जब लोगों का एक दूसरे पर था विश्वास...
आज मेरा जन्मदिन फिर से है आया! लेकिन माँ आज तुम्हारी हाथो की बनी खुशबू नहीं लाया! आज मेरा जन्मदिन फिर से है आया! लेकिन माँ आज तुम्हारी हाथो की बनी खुशबू नहीं ल...
तब उसके प्यार का मुझको भी, खूब याद आया था, उसको याद कर पूरी रात, जार जार मैं खूब रोय तब उसके प्यार का मुझको भी, खूब याद आया था, उसको याद कर पूरी रात, जार जा...
उन्मुक्त जिदंगी की चाह कुछ उसे यूँ ले डूबी। उन्मुक्त जिदंगी की चाह कुछ उसे यूँ ले डूबी।
मैं कौन हूं मैं वो हूं जिसका कोई मान नहीं अर्थ नहीं सम्मान नहीं। मैं कौन हूं मैं वो हूं जिसका कोई मान नहीं अर्थ नहीं सम्मान नहीं।
फिर अगले पल ही, इस सच्चाई से हमारा सामना होगा। फिर अगले पल ही, इस सच्चाई से हमारा सामना होगा।
चहकने से पहले गोलियों से उड़ा न दी जाऊं सपनों की उड़ान भर न पाऊं चहकने से पहले गोलियों से उड़ा न दी जाऊं सपनों की उड़ान भर न पाऊं
शायद इस साल यही उसे दिखाना था । अब मैं कहीं नहीं हूं ,कहीं नहीं हूं। शायद इस साल यही उसे दिखाना था । अब मैं कहीं नहीं हूं ,कहीं नहीं हूं।
इक्कीसवीं सदी के नाम ये कहाँ हम जाने लगे। इक्कीसवीं सदी के नाम ये कहाँ हम जाने लगे।
अजनबी ही बने रहें हमेशा उनकी निगाहों में माँगा था जिन्हें हमने अपनी दुआओं में। अजनबी ही बने रहें हमेशा उनकी निगाहों में माँगा था जिन्हें हमने अपनी दुआओं में...
गमो को अपने मुसलसल छुपाने लगा हूँ मैं। गमो को अपने मुसलसल छुपाने लगा हूँ मैं।