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Akash Yadav

Romance

3  

Akash Yadav

Romance

दुश्मन ज़माना

दुश्मन ज़माना

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यूँ चुप चुप आँखों से कहना,

कहीं दूर जाने का बहाना तो नहीं?

कहो कहीं हमारे बीच दुश्मन, 

कमबख्त, ये ज़माना तो नहीं?


यूँ नजरें चुराना, यूँ मुझसे

झूठा वो इश्क़ का, फ़साना तो नहीं?

तुमपर लूटा दिया, सब जिसने

तुम्हारे लिए वो शख्स, बेगाना तो नहीं?


यूँ शायरियां लिखना, मेरा तुझ पर 

तेरी नज़रों में कही, ताना तो नहीं?

कहो कही हमारे बीच दुश्मन

कमबख्त, ये ज़माना तो नहीं?


वो आँखों के नशे से, उभरा नहीं अबतक

गौर करूँ कहीं, ये मयखाना तो नहीं?

जिस प्यारी सी हँसी की वजह सिर्फ मैं था

कहो कहीं झूठा, वो मुस्कुराना तो नहीं?


यूँ लड़ना तेरा, बात बात पर मुझसे

कहीं किसी का, बहकाना तो नही?

कहो कहीं हमारे बीच दुश्मन

कमबख्त, ये ज़माना तो नहीं?



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