एहसास
एहसास
दबी दबी सी चाहत
उभरने लगी है,
आँखों की भाषा
आँखें समझने लगी है....
सहमी सहमी सी हँसी
गालों में खिलने लगी है,
होश खो जाए ऐसी
सुंदरता दिखने लगी है...
पायल की रुनझुन
कुछ कहने लगी है,
नयनों से निंद भी
अब उड़ने लगी है....
चारों तरफ एहसास
तुम्हारा होने लगा है,
सपना है ये, सोच के
दिल रोने लगा है..।