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Vaishali Raut

Others

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Vaishali Raut

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आजकल

आजकल

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आजकल मुझे कुछ अच्छा सा लगने लगा है,

ना जाने क्यों, कुछ खोया सा मिलने लगा है..।।


ऐसा लग रहा है की तकदीर होती है,

हाथ़ की रेखाओं में, दिल कुछ ढूंढने लगा है.।।


दुख़ भी जरूरी है, सुख की तरह,

कॉंटो पर भी विश्वास होने लगा है.।।


मुस्कुराहट छाई होती हैं होंठो पे हरदम,

अमावस में भी , चंद्रमा दिखने लगा है..।।


कुछ लोग मिल रहे हैं राहों में इस तरह,

शायद इन्सान में, भगवान बसने लगा है.।।



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