आसमां झुकता नहीं
आसमां झुकता नहीं
आपने शायद मुझे समझा नहीं।
आपकी मंजिल हूँ मैं रास्ता नहीं।
इक दीये की तरह दिल जलता रहा,
क्यों उजाला आपको दिखता नहीं।
खटखटाती दर को हैं बेचैनियाँ,
दिल का दरवाजा मगर खुलता नहीं।
देखते हैं क्यों मुझे हैरत से यूँ,
आईना हूँ आपका चेहरा नहीं।
कुछ कशिश थी इस जमीं के प्यार में,
यूं कभी तो आसमां झुकता नहीं।