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Manju Saini

Romance

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Manju Saini

Romance

शीर्षक:सावन में

शीर्षक:सावन में

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सावन में

घिर घिर आते 

काले काले बादल

सुगन्ध दे जाते सिंधारे की

पींग बढ़ाते झूले की

मधुर मधुर धुन हरी हरी चूड़ियों की

मेहंदी लगे हाथों की

मन को नई धुन सुनाते हैं

सावन के गीत मल्हार

तन में नई उमंग भर देते

पिया से मिलन की आस जगाते

काले काले बादल घुमड़ घुमड़ के आते

हवाएं बादलों को संग ले अपने 

व्योम में लहराती इठलाती

सावन में

सखियों संग पेंग बढ़ाती लहराती

मद मस्त पवन सी मैं मचलूँ झूमूं

झूले में ले पेंगे मानो छू लुंगी 

आसमान को बन शीतल सलोनी बयार

पिया का इंतजार करने को इजहार

सखियों संग हँसी मजाक

तुम आन मिलो सजना अब

सावन में एक बार

याद तुम्हारी दिलाये दिल दुखाये

बारिश की ठंडी फुहार 

हरी धानी पहन चुनरिया 

मैं करती सोलह श्रृंगार

आन मिलो पिया सावन में इस बार

सखियाँ छेड़े गा गा कर मुझे मल्हार



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