हम बिना कुछ कहे
हम बिना कुछ कहे
हम बिना कुछ कहे बस खड़े ही रहे।
देखते चाहते सोचते ही रहे।
बात आसान थी पर बताना कठिन,
हम सही लफ्ज़ को खोजते ही रहे।
बह न जाए कहीं उसके ही सामने,
आँसुओं को सभी रोकते ही रहे।
रोज हमने बढ़ाये हज़ारों कदम,
बीच अपने सदा फ़ासले ही रहे।
दिल से दिल का लगाना हुआ ही नहीं,
गाँठ दिल में लगी खोलते ही रहे।
हम सजाते रहे ख्वाब अपने हसीं,
और वो बस उसे तोड़ते ही रहे।
हम ने दिल से किये सब के सब फैसले,
सोचता हूँ गलत फैसले ही रहे।
दोस्त अपने पहुँचे कहाँ से कहाँ,
हम यहीं पर खड़े ताकते ही रहे।
जिंदगी भर लिखी है कहानी तेरी,
जिस कहानी में हम हाशिये ही रहे।l