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Irfan Alauddin

Abstract Romance

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Irfan Alauddin

Abstract Romance

बात करने को करेगें

बात करने को करेगें

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बात करने को करेगें और कहने को कहेगें 

हाल ऐसे भी बुरा है जो कहेगें वो करेगें 


मस'अला तो बस यही है सूनता हूँ ग़ौर से मैं

वो कहेगें हम सुनेगें जो देखेगें वो लिखेगें 


और क्या है जो बताऊ दूर है वो सो रहेगें 

फ़र्क़ आया तो नही है सो मुहब्बत हम करेगें 


क्या ज़माना क्या फ़साना गाँव वाले है कहेगें 

मैं नहीं हूँ क्या यहाँ पर ग़ैर को वो क्यो देखेगें।


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