दो किताबें हाथ में है
दो किताबें हाथ में है
दो किताबें हाथ में है
ख़्वाब मेरे राख़ में है
भागता हूँ दूर ख़ुद से
धूल मेरी आँख में है
उस हवा से मैं डरा हूँ
पर मेरे अब काख़ में है
ख्वाहिशें तो मर गयी है
मौत मेरी ताक़ में है
क्या तेरा है क्या मेरा है
सब ख़ुदा के हाथ मे है।
