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manish shukla

Abstract

4.3  

manish shukla

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प्रकृति का सम्मान

प्रकृति का सम्मान

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आओ फिर गुणगान करें, धरा का फिर श्रृंगार करें,

अपनी गलती को मानकर, प्रकृति का फिर सम्मान करें,


हमने धरती का दोहन किया, पानी को व्यर्थ ही बहने दिया,

हवा में जहर घोलकर, पर्यावरण को नष्ट किया,


अपने अपराध का प्रायश्चित करके, अपने पापों का नाश करें,

आओ फिर गुणगान करें, प्रकृति का फिर सम्मान करें।


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