पर्यावरण का कमाल
पर्यावरण का कमाल


आज आसमान साफ है, नीला ये आकाश है,
पर्यावरण का ये कमाल है, पंछी गीत गा रहे हैं,
राग गुनगुना रहे हैं, नृत्य कर रही धरा,
इंसान को सबक सिखा रहे हैं, जीवन का अर्थ बता रहे हैं
कल तक था काला आकाश, गायब था जीवों का गान,
विनाश लीला देखकर, प्रकृति थी हैरान-परेशान
ये हरकत थी इंसान की, अपने लालच और स्वार्थ की,
विकास के नाम पर, धरती को उसने नष्ट किया,
अपने कुकृत्य से प्रकृति को उसने रुष्ट किया,
आखिर शिव का तीसरा नेत्र खुला, इंसान को सबक मिला,
प्रभु ने वायरस की लीला रच, मानव को घर में कैद किया,
आज प्रकृति आजाद है, सतरंगा आकाश है, पर्यावरण का कमाल है।