कल जल
कल जल
बूंद- बूंद पानी की, कहती यही कहानी,
कल-कल बहता ये जल, कल के जीवन की निशानी,
पानी नहीं ये आस है, धरती पर इंसान की सांस है,
इसको यूं व्यर्थ बहना नहीं, उम्मीद का दिया बुझाना नहीं,
आज नहीं करोगे इसका सम्मान, करोगे प्रकृति का अपमान,
आने वाला कल होगा अंधकार, मिट जाएगा इंसान का नामोनिशान,
सुन लो ईश्वर की बानी, अगली पीढ़ी के लिए बचाओ पानी,
बांटों जीवन की ये निशानी, के बच्चे सुनाएं तुम्हारी कहानी।