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Uma Vaishnav

Abstract

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Uma Vaishnav

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सूरज की किरणें

सूरज की किरणें

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दूब पे सूरज किरण अब बोझ करती है, 

धूप ये अठखेलियाँ हर रोज करती है,


चाल मौसम की बदलती हमसे कहती 

ये हवा दिल के लिए अफरोज करती है


ओस की बूँदें कभी जब पेड़ पर बिखरे

धूप इन बूंदों की फिर खोज करती है


सर्द मौसम का यही.... दस्तूर होता है।

ये फिजा धरती पे आकर मौज करती है।


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