STORYMIRROR

Uma Vaishnav

Abstract

3  

Uma Vaishnav

Abstract

सूरज की किरणें

सूरज की किरणें

1 min
403

दूब पे सूरज किरण अब बोझ करती है, 

धूप ये अठखेलियाँ हर रोज करती है,


चाल मौसम की बदलती हमसे कहती 

ये हवा दिल के लिए अफरोज करती है


ओस की बूँदें कभी जब पेड़ पर बिखरे

धूप इन बूंदों की फिर खोज करती है


सर्द मौसम का यही.... दस्तूर होता है।

ये फिजा धरती पे आकर मौज करती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract