सुप्रभात जी
सुप्रभात जी
कोयल काली गा रही, बीत गई है रात।
सूर्य की कारणें लाइ हैं, देख नूतन प्रभात।।
मंदिर के पट खुल गये, हो गई है प्रभात।
शंख की गूंज बज उठी, पक्षी कर रहे बात।।
कोयल काली गा रही, बीत गई है रात।
सूर्य की कारणें लाइ हैं, देख नूतन प्रभात।।
मंदिर के पट खुल गये, हो गई है प्रभात।
शंख की गूंज बज उठी, पक्षी कर रहे बात।।