दोहा दोहा
काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।। काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।।
जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं। जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं।
आओ हम सब घूम ले, कर ले जीवन सैर। नहीं मिलेगी जिंदगी, छोड़ो गुस्सा बैर। आओ हम सब घूम ले, कर ले जीवन सैर। नहीं मिलेगी जिंदगी, छोड़ो गुस्सा बैर।
ज़िंदगी छोटी हो या बड़ी एक दिन मौत के आगोश मे समा जाती हैं.. ज़िंदगी छोटी हो या बड़ी एक दिन मौत के आगोश मे समा जाती हैं..
कोरोना कहते इसे, सभी देश के लोग। औषध इसका कुछ नहीं, बड़ा विचित्र है रोग।। कोरोना कहते इसे, सभी देश के लोग। औषध इसका कुछ नहीं, बड़ा विचित्र है रोग।।