दोहा
दोहा
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1.
करते रहिये हरि भजन, रसना रट नित नाम।
भला करेंगे आप ही, कहते जिनको राम।।
2.
लिए ओट प्रभु पेड़ की, छोड़ें तीर कमान।
बाली के प्रतिघात से, बची मित्र कपि जान।।