मैं हूं
मैं हूं
बेचारी नहीं नारी हूं,
यारोंं की यारी हूं,
जो भी समझें मुझे,
उसकी प्राण प्यारी हूं।
दोस्तों की दोस्त हूं,
दुश्मनों पर भारी हूं,
लोग मुझ पर नजर रखें,
मैंं जरूरी जानकारी हूं।
प्रसाद की पंजीर हूं,
दही का चरणामृत हूं,
जो मुझसे दूर रहें,
उनके लिए बीमारी हूं।
कबीरदास का दोहा हूं,
तुलसी की रामायण हूं,
जिसके मुख से मैं निकलूं,
उसके मुख की वाणी हूं।
