#गाने ऊपर गाना#ग़ज़ल_बेवफाई
#गाने ऊपर गाना#ग़ज़ल_बेवफाई
एक झूठी आस दिलबर से मिली।
बेवफाई जब सितमगर से मिली।
दिल जला कर वो हमारा जो चले,
चोट तब हर बार पत्थर से मिली।
चांद को अपनी चमक पे है गुमाँ ,
रोशनी उसको दिवाकर से मिली।
अब शिकायत क्या सनम तुमसे करें,
चाहते सबको मुकद्दर से मिली।
भूल जायेगे तुम्हें यह तय किया,
भूल ने की सीख ठोकर से मिली।