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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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खूब मनाई दीवाली

खूब मनाई दीवाली

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बहुत हुई बर्बादी दीवाली में,

फोड़े पटाखे, और बम,

प्रदूषण से घुटा है दम,

फिर भी उन्हें है लगता कम।


खूब जलाया पैसों को,

फुलझड़ी के नाम से,

चिंगारी की बरसात भी कर दी,

धरती और आसमान में !


वह तो सबसे आगे दिखे 

जो पर्यावरण को रोते हैं,

ऐसा लगता है अब तो 

सब के सब इंसान के,

नाम पर खोते हैं,


जितने पटाखे तुमने जलाए 

भरता पेट गरीबों का,

वह बेचारे आशीष भी देते,

और लेते नाम भी हरदम।


पर अपने शौक के आगे,

सब कुछ गौण है दिखता,

इस दुनिया में पैसे के आगे,

भाला कौन है टिकता।।


खूब मनाई दीवाली सबने 

करके बरबादी पैसों का,



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