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Dr.Deepak Shrivastava

Abstract

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Dr.Deepak Shrivastava

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लता दीदी

लता दीदी

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सुरों की सम्राज्ञी 

 स्वर कोकिला

बहा देती थी

सुरों की गंगा

जब भी कोई

गीत गाती थीं

हो जाते थे सुनने

वाले मंत्र मुग्ध

सुनकर उनकी

आवाज़

सब का हो जाता

 था मन चंगा

आज सूना है

सुरों का संसार

लता दीदी के बिना

कुछ भाता नहीं

उनके गीतों के बिना

ना हुआ है ना

होगा उनके

मुकाबिल कोई

संगीत की दुनिया

में उनसा सुरों

का कामिल कोई

गाएं उनके गीत,

सुने उनके गीत

बहाएँ उनके

गीतों की गंगा

सजायें महफिलें 

उनकी यादों में

जिन्हें सुनकर

हो जाये तन

ओर मन चंगा

करते नमन उन्हें

उनके जन्म दिन पर

गाकर उनके

गाये गीत

सुनकर उनके

 गीत

इसी से होगा

गीत गाता हूँ में

का पूरा सपना


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