मौत
मौत


मौत ...क्या हो तुम?
किसी ने कहा की तुम एक कविता हो।
तो किसी ने कहा की
कभी ना खतम होने वाली रात हो।
पर मुझे तो तुम अलग
नजर आती हो तुम,
जब किसी दूध पीते बच्ची की
मां चली जाती है
तो उस बच्ची की आँखों से,
कभी ना थमने वाली
बारिश हो जाती हो तुम।
जब किसी प्रेमी के प्रेम को
अपने आगोश में लेती हो तुम ...
तो उसके लिये कभी ना खतम
होने वाला इंतजार बन जाती हो।
किसी मां की कोख जब
तुम खाली
कर जाती हो ,
तो उसके लिये तुम
एक नासूर बन जाती हो।
मगर जब कोई अपना ना रहा ,
या तो किसी अपने ने जख्म दिये ,
और तूमने गले लगा लिया तो
उनके लिये तुम
आशीष बन के आती हो
उनका अनकहा प्यार
बन जाती हो ।
तुम किसी भी लिबास में आना
या कभी भी आना ,
ऐ मौत मैं खड़ा हूँ अपने
बाहे पसारे तुम्हारा
इंतजार करता हुआ ,
क्योंकि जिंदगी से
तो प्यार कर चुका हूँ मैं,
अब तेरी बारी है
प्यार निभा ने की।