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Shraddha Kandalgaonkar

Tragedy

3  

Shraddha Kandalgaonkar

Tragedy

बलात्कार

बलात्कार

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क्या देख रहे हो साब??

जो मैने कहा क्या झूठ है साब

मैने बस इतना कहा की कई किस्म के होते

 हैं ये बलात्कार......

जब मुझे बुखार था,

और मां मुझे लेके परेशान थी ,

तब जब पापा ने उसे अंदर 

आने के लिये इशारे किये,

मुझे छोड के जब वो 

भरी आँखो से अन्दर गयी,

तब मेरे लिये वो बलात्कार ही था|

जब पढा ने के बहाने टीचर ने 

मुझे छूआ था,

और पूरा साल मार्क्स के डर से

 बार बार छूता रहा ,

तो वो भी तो एक बलात्कार ही था।

शादी के बाद जो हर घर मे होता है

वो क्या बलात्कार से कम होता है साब।

जब बलात्कारी को पुलिस ले के जाती है,

तब वो अपने मां के मन पर

 भी बलात्कार करता है|

ये जो वो एहेसास दिलाते हैं कि 

तुम तुम नही हो ,तुम मेरी हो।

मेरी नजर मे ये भी बलात्कार है।

उसके बजाय की तुम अकेली नही हो 

मै हूं तुम्हारे साथ ,ये संभालना है।

हर वो खुदा का बंदा जो 

स्त्री को अपनी जागीर समझाता है 

वो बलात्कार ही होता है साब ,

हमारे आत्म सम्मान का।

हर पल हर क्षण नारी 

मर रही है, घुट घुट के जी रही है।

हर बार साब जरूरी नहीं शरीर ही करे,

आँखो से, बोल के ,या छू के भी 

ये कमीने बलात्कार करते हैं साब,

जब तक दुसरे की छाती मे या 

उसकी योनी मे उसे अपनी

मां बहेन ना दिखाई दे 

तब तक ऐसा ही चलता रहेगा...

और आप भी मानने लगेंगे कि

 बलात्कार कई तरीके से होते हैं।

क्या हूआ साब हसी बंद हो गयी आपकी,

नजर भी झुक गयी...

चलो कुछ को तो मैने एहसास दिलाया ,

की मन तो हममे भी है शरीर के साथ।



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