मैंने जिन्दगी में जाने खाई है कितनी ठोकर हर बार बस यही सोचा मायूसीयों में खोकर मैंने जिन्दगी में जाने खाई है कितनी ठोकर हर बार बस यही सोचा मायूसीयों में खोकर
फिरता हूँ वक़्त के साथ दर बदर की ठोकरों में, जाने किस वक़्त ये वक़्त मुझे थामे मंज़िल पाने के लिए।। फिरता हूँ वक़्त के साथ दर बदर की ठोकरों में, जाने किस वक़्त ये वक़्त मुझे थामे मंज़...
ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ। ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ।
अरमान मेरे दिल में छटपटाते रह गए मगर यारों एक भी निकल नहीं पाया। अरमान मेरे दिल में छटपटाते रह गए मगर यारों एक भी निकल नहीं पाया।
एक पत्थर आया जिसे आज तुमने ग़लती से ही सही ठोकर मारी है एक पत्थर आया जिसे आज तुमने ग़लती से ही सही ठोकर मारी है
मुझे मिटाने तुम जैसे कई आये आकर चले गए। मुझे मिटाने तुम जैसे कई आये आकर चले गए।