पत्थर
पत्थर
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जिस रोज़ मैं
ज़िन्दगी के रास्ते
से गुजरा तो मेरी
ठोकर में
एक पत्थर आया
जिसे आज तुमने
ग़लती से ही सही
ठोकर मारी है,
कल कहीं वो
तुम्हारी नज़र में
इतनी ऊँचाई से मिले की
तुम उससे नज़रें
मिलाने के क़ाबिल न रहो।